चाय पर चर्चा
बहोत हुई चाय पर चर्चा
अब तो समोसे मँगवा लो
कब से मिट्टी गून्द रहे हो
अब तो कोई मूर्ति ढालो
गाय गोबर और किसानी
के चर्चे हैं आम रहे
तेरे मेरे जीवन के पर्चे
और किसी के नाम रहे
गाय सनी खडी गोबर में
तुम भी तो गोबर टालो
बहोत हुई चाय पर चर्चा
अब तो समोसे मँगवा लो
गाँव की गलियाँ हुई है सूनी
बैठे हो तुम लगाये धूनी
इन्वेस्टर की लाईन लम्बी
यहां भी कोई फैक्ट्री डालो
पोखर गंदे नदियाँ गंदी
फल फूल रहे गंदे नाले
यहां तो सभी प्यासे हैं
वहां चले रस के प्याले
बैठे हैं जो आस लगाये
दर से इनको मत टालो
बहोत हुई चाय पर चर्चा
अब तो समोसे मँगवा लो
उदय बीर सिंह गौर
खम्हौरा
बांदा
उत्तर प्रदेश